Analysis of भुखमर
ये कविता किसी रोमांस की कहानी नहीं है ,
ये कविता मेरी ज़िंदगी की रवानी नहीं है ,
ये कविता इस देश की अहम परेशानी है।
ये कविता उस भुखमरी में जीने वाले बच्चे की ज़ुबानी है।
कैसे वो अपनी ऐसी ज़िंदगी जीए जा रहे है,
वो दर्द के आँसू घुट घुट के पिए जा रहे है,
क्यूँ एक समय की रोटी भी यूं मांगनी पड़ती है,
ये भुखमरी का वो जाल है जो आँखें भी बयां करने से डरती है।
हाल ये हो गया कि हर गाँव में अब मर रहा है किसान ,
खबरें पढ़कर भी नेता इस पर नहीं रहे बयान,
क्या करे किसान ऐसी सरकार का,
जो खाने को दाना नहीं दे सके किसान के अनाज का।
ग़रीबी की तो कोई सीमा बची ही नहीं है ,
लाखों बच्चे है जिन्होंने दूध देखा ही नहीं है,
वो बच्चे अक्सर भूखे सो जाते है आसमां को ओढ़ कर ,
वहीं उनकी माँ रोटी कमा रही है पाई पाई जोड़कर।
बाप है जो मजदूरी करके कुछ ३०० रुपए कमाता है,
२०० तो वो अपनी शराब पर उड़ता है,
इतने से क्या कोई घर चलाता है ,
इसीलिए वो बच्चा भीख मांगने को सड़कों पर जाता है।
ग़रीबी ज़िंदगी से ऐसे दाँव पेंच खेल लेती है,
मात्र २००० में माँ अपनी बेटी बेच देती है,
ग़रीबी आदमी का अभिमान तोड़ देती है,
जो सपनों में आजतक ना किया हो,
वो हकीक़त में करवा के छोड़ देती है।
भुखमरी वो है
जो इंसान के चेहरे का नूर छीन लेती है,
किसी की मांग का सिंदूर छीन लेती है,
आत्महत्या के लिए वो मजबूर देती है ,
परिवारों को एक दूसरे से दूर कर देती है।
कुछ मौत पर तो उनका धर्म भी रोता है,
क्योंकि क्रिया करम तक का पैसा उनके पास नहीं होता है ,
पैसे की वजह से घरवाले सरे आम बेच देते है मुर्दा मास को ,
थू है ऐसी सरकार पर जो कफ़न भी ना दे सके गरीबों की लाश को।
समझ रही हूं कि तुम्हें लग रहा कि ये विषय फ़िजूल है,
ये तो सब पुराने दिनों का उसूल है ,
कोई ना, तुम ये सब सोचने को मजबूर हो ,
क्योंकि तुम इस भुखमरी की त्रासदी से दूर हो।
अब एक सवाल का जवाब मैं नेताओं से चाहती हूं
कि कब तक किसान आत्महत्या करता रहेगा,
कब तक वो बच्चा खाने पे मरता रहेगा,
कब तक वो ग़रीब भीख मांग कर घर चलाएगा ,
कब तक वो परिवार पानी से भूख मिटाएगा।
अब तो उस बच्चे को भी खाने को दाना मिल जाए,
उस किसान को भी दो समय का खाना मिल जाए,
एक युद्ध आज भुखमरी के नाम होना चाहिए ,
आज पूरा देश भुखमरी के विरूद्ध सरे आम होना चाहिए ।।
Scheme | |
---|---|
Poetic Form | Palindrome |
Metre | 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 |
Characters | 4,902 |
Words | 486 |
Sentences | 1 |
Stanzas | 12 |
Stanza Lengths | 4, 4, 4, 4, 4, 5, 1, 4, 4, 4, 5, 4 |
Lines Amount | 47 |
Letters per line (avg) | 0 |
Words per line (avg) | 10 |
Letters per stanza (avg) | 0 |
Words per stanza (avg) | 37 |
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Style:MLAChicagoAPA
"भुखमर" Poetry.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 10 Jun 2024. <https://www.poetry.com/poem-analysis/144109/%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%B0>.
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